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या ओष॑धीः॒ पूर्वा॑ जा॒ता दे॒वेभ्य॑स्त्रियु॒गं पु॒रा। मनै॒ नु ब॒भ्रूणा॑म॒हꣳ श॒तं धामा॑नि स॒प्त च॑ ॥७५ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

याः। ओष॑धीः। पूर्वाः॑। जा॒ताः। दे॒वेभ्यः॑। त्रि॒यु॒गमिति॑ त्रिऽयु॒गम्। पु॒रा। मनै॑। नु। ब॒भ्रूणा॑म्। अ॒हम्। श॒तम्। धामा॑नि। स॒प्त। च॒ ॥७५ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:12» मन्त्र:75


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

मनुष्यों को अवश्य ओषधिसेवन कर रोगों से बचना चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अहम्) मैं (याः) जो (ओषधीः) सोमलता आदि ओषधी (देवेभ्यः) पृथिवी आदि से (त्रियुगम्) तीन वर्ष (पुरा) पहिले (पूर्वाः) पूर्ण सुख दान में उत्तम (जाताः) प्रसिद्ध हुई, जो (बभ्रूणाम्) धारण करने हारे रोगियों के (शतम्) सौ (च) और (सप्त) सात (धामानि) जन्म वा नाडि़यों के मर्मों में व्याप्त होती हैं, उन को (नु) शीघ्र (मनै) जानूँ ॥७५ ॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को योग्य है कि जो पृथिवी और जल में ओषधी उत्पन्न होती हैं, उन तीन वर्ष के पीछे ठीक-ठीक पकी हुई को ग्रहण कर वैद्यकशास्त्र के अनुकूल विधान से सेवन करें। सेवन की हुई वे ओषधी शरीर के सब अंशों में व्याप्त हो के शरीर के रोगों को छुड़ा सुखों को शीघ्र करती हैं ॥७५ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

मनुष्यैरवश्यमौषधसेवनं कृत्वारोगैर्वर्तितव्यमित्याह ॥

अन्वय:

(याः) (ओषधीः) सोमाद्याः (पूर्वाः) (जाताः) प्रसिद्धाः (देवेभ्यः) पृथिव्यादिभ्यः (त्रियुगम्) वर्षत्रयम् (पुरा) (मनै) मन्यै, अत्र विकरणव्यत्ययेन शप् (नु) शीघ्रम् (बभ्रूणाम्) भरणानां धारकाणां रोगिणाम् (अहम्) (शतम्) अनेकानि (धामानि) मर्मस्थानानि (सप्त) (च) ॥७५ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - अहं या ओषधीर्देवेभ्यस्त्रियुगं पुरा पूर्वा जाता, या बभ्रूणां शतं सप्त च धामानि मर्माणि व्याप्नुवन्ति, ता नु मनै शीघ्रं जानीयाम् ॥७५ ॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यैर्याः पृथिव्यामप्सु चौषधयो जायन्ते, गतत्रिवर्षा भवेयुस्ताः सङ्गृह्य यथावैद्यकशास्त्रविधि संसेव्याः, ता भुक्ताः सत्यः सर्वाणि मर्माण्यभिव्याप्य रोगान्निवार्य शरीरसुखानि सद्यो जनयन्ति ॥७५ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - पृथ्वीवर व जलामध्ये जी औषधी तयार होते ती तीन वर्षांपूर्वीची परिपक्व झालेली असावी. माणसांनी वैद्यक शास्राप्रमाणे ती सेवन करावी. अशी औषधी सर्व अंगांगात भिनून तत्काळ रोग नाहीसे करून सुखी करते.